उस दिन की भी क्या बात थी
कुछ पल ही सही, वो मेरे साथ थी ॥१॥
ना कोई कस्मे ना कोई वादे
बस उस मुलाकात की थी कुछ बातें॥२॥
जानते थे की कोई मंज़िल नहीं इस राह की
हमने तो उस सफर को ही अपना नसीब समझ लिया ॥३॥
उसके साथ बिताये लम्होंमे, खुद को कभी था खोया
आज उसकी ख़ामोशी में, हमने अपना ही इंतज़ार किया ॥४॥
आँखें नम थी, होठ भी सिले थे
बस एक दूसरे को देखकर हमने सारा वक़्त गुज़ार लिया ॥५॥
खुश थे उसे खुश देख कर, आज
हमने भी अपनी ख़ुशी का थोड़ा दिखावा कर लिया ॥६॥
कुछ पल ही सही, वो मेरे साथ थी ॥१॥
ना कोई कस्मे ना कोई वादे
बस उस मुलाकात की थी कुछ बातें॥२॥
जानते थे की कोई मंज़िल नहीं इस राह की
हमने तो उस सफर को ही अपना नसीब समझ लिया ॥३॥
उसके साथ बिताये लम्होंमे, खुद को कभी था खोया
आज उसकी ख़ामोशी में, हमने अपना ही इंतज़ार किया ॥४॥
आँखें नम थी, होठ भी सिले थे
बस एक दूसरे को देखकर हमने सारा वक़्त गुज़ार लिया ॥५॥
खुश थे उसे खुश देख कर, आज
हमने भी अपनी ख़ुशी का थोड़ा दिखावा कर लिया ॥६॥
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