लमहा लमहा जोड़, एक कहानी ज़िन्दगी, उस कहानी में तुम न होती, तो कहानी कुछ और होती ॥१॥ तुम्हें रस्मों रिवाज़ों की परवा न होती, थोड़ी हिम्मत मुझमें और होती, तो कहानी कुछ और होती ॥२॥ प्याला हो सागर में न खुदको डुबाया होता, ये दिल अगर संग-ए-दिल ही होता, तो कहानी कुछ और होती ॥३॥ कुछ दूर और तू साथ निभाती, तू होती, तेरा प्यार होता, तो कहानी कुछ और होती ॥४॥ काश के तेरे सवालों का मेरे पास कोई जवाब होता, इंतज़ार न सही, तुझे थोड़ा एतबार ही होता, तो कहानी कुछ और होती ॥५॥ ज़िन्दगी के उस मोड़ पे न मिले होते हम, कुछ दूर ही सही, पर साथ न चले होते हम, तो कहानी कुछ और होती, तो कहानी कुछ और होती ॥६॥